जुस्तजू भाग ---1
डिस्क्लेमर :- इस कहानी में वर्णित घटनाऐं और पात्र मात्र लेखक की कल्पना है और किसी भी वास्तविकता से दूर है। फिर भी ऐसे किसी भी मेल का होना संयोग ही होगा। किसी भी रीति रिवाज और मान्यता में अंतर्विरोध की स्थिति में कहानी की मूल भावना अक्षुण्ण रखते हुए लेखक उसमें परिवर्तन करने का प्रयास अवश्य करेगा पर यह संभव न हो पाए तो सुधी पाठकों से अनुरोध है कि वे इसे कहानी के रूप में ही लें।
कुछ क़िस्मत की टेढ़ी लकीरें, कुछ उनका आजमाना।ए वक्त, कुछ देर ठहर। हमें उन्हे पाने की तदबीर करनी है।।
दिसंबर की सर्द रात में सन्नाटे को चीरती गाजीपुर डी एम अनुपम की कार वाराणसी से वापस लौट रही थी। अनुपम अपने आप में खोया था। कुछ समय पहले हुई तेज बारिश ने सर्दी और ठंड को बढ़ा रखा था। उसे वाराणसी रुकने के लिए कहा गया था। पर अकेले में उसकी यादें बैचेन कर देती थी तो वह उसका हल ख़ुद को काम में डुबोकर ढूंढ लेता था। यही बात सरकारी हलको और आम जनता में उसकी लोकप्रियता बढ़ाए थी पर उसके लिए तो अपनी यादों से बचने का उपाय था।
अचानक कार तेज झटके से एक नाले के पुल को पार करते रुकी तो वह अपने खयालों से वास्तविक दुनियां में लौट आया। तभी सामने लहराती बस रेलिंग तोड़ती नाले में जा गिरी। उसके पीछे आ रही कार का भी वही हश्र हुआ।
अनुपम तेज़ी से बाहर निकलकर टूटी रेलिंग की तरफ़ बढ़ा। उसे इस तरह जाते देखकर उसके गनमैन और ड्राइवर भी तुरंत उसी ओर दौड़े। नीचे बस और कार में पानी भरना शुरू हो गया था और उनकी सवारियों की चीख पुकार भी सुनाई देने लगी थी।
सुबह साढ़े तीन बज रहे थे। अनुपम की ज़िम्मेदारी अचानक बढ़ गई थी और उसे तुरंत निर्णय लेने थे।
"गंगाराम जी, किसी तरह कार की हैडलाइट्स की रोशनी नीचे दिखाएं।"नीचे हौलनाक दृश्य था।
"आप दोनो तैरना जानते हैं तो इन्हें बचाने में मदद करें। वरना आस पास किसी बस्ती या गांव से मदद लेकर आएं।"इतना कहकर अनुपम बिना देर किए पानी में कूद गया।
ड्राइवर गंगाराम और गनमैन रामसिंह भी कूद गए। अनुपम किसी तरह कार का विंड स्क्रीन तोड़कर उसकी सवारियां निकाल रहा था। उनको किनारे लिटाकर वह दूसरे को बचाने फिर पानी में लौट जाता। वहीं ड्राइवर और गनमैन अपने साहब की बहादुरी देखकर जोश में भर गए। ड्राइवर ने इमरजेंसी गेट खोल लिया और गनमैन ने आगे के शीशे को तोड़ दिया और वे भी घायलों को किनारे लाने के काम में जुट गए।
बस के क्लीनर और कंडक्टर को भी होश आ गया था। उन्हे कम चोटें आई थी तो वे भी बचाव कार्य में लग गए। सभी को निकालते निकालते सुबह के 6 बज गए थे। वे थककर चूर हो गए थे। पर तेज सर्दी और पानी में गंभीर घायलों की हालत बहुत खराब हो रही थी। अनुपम ने उन्हे फर्स्ट एड देनी शुरू कर दी। पर इतना काफ़ी नहीं था।
"आस पास से ²मदद लाने का प्रयास करो गंगाराम और रामसिंह आप तुरंत मोबाईल या वायरलैस से पुनः संपर्क करने का प्रयास करो।"अनुपम ने आदेशित किया।
"साहब, यहां से बस्ती 3 किलोमीटर दूर मिली थी हमे।" कंडक्टर डरे स्वर में बोला।
"गंगाराम इन तीन को तुरंत गाड़ी में डालो। इनकी हालत बहुत खराब है। इस कंडक्टर को साथ ले जाओ और वहां से मदद लाने और इन घायलों को अस्पताल पहुंचाने का प्रयास करो। रामसिंह और तुम (क्लीनर की ओर इशारा करते हुए) बाकी लोगों की देखभाल करने और उन्हे होश में लाने में मेरी मदद करो।"
"जी साहब" सभी अपने अपने काम में लग गए। 7 बजे तक कुछ और साधनों के साथ पास केगांव के लोग भी मदद में जुट गए। भाग्य से उनमें से एक नर्सिंग कर्मी भी था।
"यहां से सबसे नजदीक 4 किलोमीटर पंचायत पर गवर्नमेंट डिस्पेंसरी है सर। वहां की डॉक्टर बहुत सहयोगी और समझदार है, ईलाज भी बहुत अच्छा करती है। यहां मोबाईल और वायरलैस काम नहीं करता। पंचायत पर कुछ के पास टेलीफोन है सर। आप वहां से स्थानीय प्रशासन को आदेश दे पायेंगे।" उस नर्सिंग कर्मी ने कहा।
अनुपम बिना देर किए सभी को लेकर पंचायत की ओर बढ़ चला। तब तक ड्राईवर भी अपनी गाडी में 3 घायलों को वहां लाकर ईलाज शुरू करवा चुका था।
अनुपम को बिल्कल भी अंदेशा नहीं था कि उसको तड़पाने वाली यादों का भी ईलाज वहीं था।
क्रमशः अगले भाग में
बात दिल की:-
प्रबुद्ध पाठकों, यह ऑनलाइन किसी धारावाहिक को लिखने का प्रथम प्रयास है। अतः कमियां और अशुद्धियां भी हो सकती है। आप अपने कमेंट में इसे अवश्य इंगित करियेगा जिससे उन्हें सुधारा जा सके और आप निर्बाध पठन सुख ले पाएं। कभी परिस्थिति वश कहानी के भाग आने में देरी भी हो तो अग्रिम क्षमा प्रार्थी और आपके सहयोग की आकांक्षा के साथ।
🙏🏻
जय जय।
Pratikhya Priyadarshini
16-Sep-2022 09:11 PM
Achha likha hai 💐
Reply
Ajay
20-Sep-2022 05:34 PM
Kindly read all parts
Reply
क्रिया क्रिया
26-Jan-2022 11:11 PM
Nice story ...
Reply
Ajay
27-Jan-2022 07:01 PM
🙏🏻
Reply
Arshi khan
09-Jan-2022 11:08 AM
Very intresting story
Reply
Ajay
26-Jan-2022 12:42 AM
समय निकालकर पूरी जरूर पढ़िएगा।
Reply